देवों
में सर्वप्रथम पूजने का विधान देवों के देव
महादेव शिव के पुत्र गणेश जी का है. गणेश जी को विघ्न विनाशक
और बुद्धिदाता कहा जाता है| हिन्दू
धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती
है क्योंकि श्री गणेश बुद्धि से सफलता देने वाले और विघ्नों को दूर करने वाले माने
जाते है|
हाथी जैसा सिर होने
के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं| गणेश जी के कई नाम
हैं लेकिन हर नाम के साथ आस्था और भक्ति की अपनी ही कहानी है. गणपति
आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग-अलग अवतार लिया|
बस इसी तरह भगवान गणेश जी की
महिमा के साथ आज से हम इस ब्लॉग की शुमंगल सुरूआत
करने जा रहे है। हमे पूरी उम्मीद है की हम इस ब्लॉग के माध्यम से कई लोगो तक इस
ब्लॉग के फायदे पाहुचते रहेंगे। ओर यह ब्लॉग अपने रीडर के द्वारा हर दिन रोज नयी
नयी उचाईया पार करता रहे ऐसी मंगल प्रार्थना
करते हुए भगवान गणेशा के चरणों मे कोटी कोटी वंदन।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ॥
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा ॥
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